उन्नति का आसार हूँ मैं, विपत्ति का आधार हूँ मैं , हर वर्ग का साथी हूँ , हर समाज को अपनाता हूँ , हर ग्राहक हमारा इष्ट हुआ ,हमारा व्यवहार हमेशा शिष्ट रहा , कर्म ही हमारी पूजा हैं ,तब जाकर क़ोई बैंकर कहलाता हैं । यूँ ही नही झोपड़ी से ,हमारा office महल हुआ , लेज़र और रजिस्टर से ,finacle x का सफ़र हुआ, सिर से बहते पसीने को कभी, ऐरि से निकलते देखा हैं , नदी उतरकर क़ोई सेवा पहुँचाता हैं, तब जाकर क़ोई बैंकर कहलाता हैं । यु ही नही हर क़ोई ,5 ट्रिलियन का सपना संजोए हैं , आत्मनिर्भरता की हर कसौटी पर, हम ही सर्वप्रथम आए हैं , घर परिवार का पता नही, COVID-19 से भी मैं डरा नही, हर आपदा मे प्रथम पंक्ति के सेवादाता हैं,तब जाकर क़ोई बैंकर कहलाता हैं । सेवा हमारी आजीविका हैं, तो हम स्वभाविक मज़दूर हुए , अपने ही नेताओ की नाकामी से ,हम असुविधाओं मे जीने को मजबुर हुए, आधा वेतन, कम staff, असुरक्षा से , हमारा बहुत पुराना नाता हैं , हमारी परेशानियों का कभी न अंत हुआ, शायद इसी वजह क़ोई बैंकर कहलाता हैं । ...