बदलता वक़्त

वक़्त को किसने देखा हैं,
             ये वक़्त भी बदल जाएगा ,
ग़म के बादल कब तक मंडरायेगे ,
              एक बयार बहेगी और ये बादल भी छट जाएगे।

अंधियारो का हैं मोल बस इतना ,
               जब तक काली रात ज़ारी हैं,
उम्मीदों का एक़ टिमटिमाता दिया ही,
                सारे अंधियारो पर भारी हैं ।

ये जीवन हैं विश्वास का धरा ,
               वक़्त के साथ उथल पूथल भी ज़ारी हैं ,
हर गुज़रते लम्हों के साथ ,
                जीवन की अनमोल सीख जारी हैं ।

वक़्त की क़द्र कर तू बन्दे,
                ये वक़्त भी बदल जाएगा ,
जब तेरा सितारा चमकेगा ,
                 ये दुनिया उसकी रोशनी मे नहाएगा । 


                         “रजनीश भारद्वाज”

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