इश्क़

 हे माधव..,अपना वाला इश्क़ हमें भी करा दो ,

करते हो जो आप रासलीला,

उसके गुर हमें भी सिखा दो ,

कैसे तेरे धुन में खो जाए है ये गोपियाँ ,

हे माधव..,अपनी बंशी की धुन हमें भी सिखा दो ।

                                               

  असर था युग़ का ,या प्रेम था जनमानस का , 

 कैसे मोह लिया मन सारे संसार का ,

अपनी ये माया हमें भी सिखा दो , 

 कैसे तेरे रंग में रंग जाए है ये दुनिया ,

 हे माधव..,अपना वाला रंग में हमें भी रंगा दो ।

  

कण कण में तेरा वास था ,हर जन में तेरा प्यार था ,

ना रंग का था भेद ,ना जीवों में ही द्वेष था ,

इस जग में भी प्रभु फिर से अवतार लो ,

सुदामा वाला साथ हमें भी सिखा दो ,

हे माधव..,अपना वाला इश्क़ हमें भी करा दो ।

                            “रजनीश भारद्वाज”






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