हमराही

द्वारपाल बन के तू खड़ी है, ऐसी क्या मेरी गलती है,‬
‪प्रेम हमारा सारा जग है जाने, तू क्यों साथ छुड़ावे है,‬
‪नाराज न हो प्रियतम मेरी, क्या तू मेरे बिन जी पावेगी,‬
‪बातें चाहे कुछ भी कह ले, नम आँखे तेरा हाल बतावे हैं ।‬
 
‪लाल जोड़ा, हरी चुरिया, तेरे माथे पर टिका शोभे है,‬
‪क़हर लागे है जब तू ऐसे, शून्य नजरो से मुझे देखे हैं ,‬
‪सूरज के स्वर्णिम किरणे , तेरे चेहरे का रंग निखारे हैं ,‬
‪एक बात बता तू मोहे, इतने नख़रे कहा से लावे हैं ।‬
 
‪चल मान लिया तेरी बाते, सारी गलती म्हारी हैं,‬
‪न जाऊँगा छोड़ के तुझको, मेरी क़सम ये पूरी है ,‬
‪अब तो आलिंगन कर ले हमारा, क्या अब भी कोई मजबूरी है,‬
‪सौ बात की एक बात ,हमराही मेरे ये जीवन तुझ बिन अधूरी है...!‬


                              “रजनीश भारद्वाज” 

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