Posts

Showing posts from July, 2020

भाग्य विधाता

हम मज़दूरों का हक़ ना मारो, मजबुर तुम हमको ना जानो, मेहनत की हम खाते हैं , आधे वेतन में ही खुश हो जाते हैं , रक़्त जब पसीना बनकर बहता हैं, तब साहब खुश होकर कहता है, जा तुझको बड़ा ईनाम दिया ,आधी मजदूरी देकर तेरा सम्मान किया , पुराना वक़्त है बदल चुका, हर कामगार अपना अधिकार है समझ चुका, कब तक हमें तुम रोक पाओगे ,कब तक हक़ हमारा तुम छिन पाओगे, अत्याचार की अब इंतहा हो गयी, तेरी उल्टी गिनती अब शुरू हो गयी , वक़्त रहते तुम संभल जाओ , छोड़ो पद और कुर्सी से तुम उतर जाओ , हर दबी आवाज़ अब बाग़ी होगी , हर कलम में आग की स्याही होगी, ये आसमाँ हमारी माँगो से गूंजेगा , हर लेख हमारे तेरे कारनामे उकेरेगा , हमारी माँगे मानो तुम , हमारा पुराना स्वाभिमान लौटा  दो तुम , अपने अधिकारो से हमारा नाता है , हम ही ख़ुद के भाग्य विधाता हैं ।                                        “रजनीश भारद्वाज” 

हमराही

‪ द्वारपाल बन के तू खड़ी है, ऐसी क्या मेरी गलती है,‬ ‪प्रेम हमारा सारा जग है जाने, तू क्यों साथ छुड़ावे है,‬ ‪नाराज न हो प्रियतम मेरी, क्या तू मेरे बिन जी पावेगी,‬ ‪बातें चाहे कुछ भी कह ले, नम आँखे तेरा हाल बतावे हैं ।‬   ‪लाल जोड़ा, हरी चुरिया, तेरे माथे पर टिका शोभे है,‬ ‪क़हर लागे है जब तू ऐसे, शून्य नजरो से मुझे देखे हैं ,‬ ‪सूरज के स्वर्णिम किरणे , तेरे चेहरे का रंग निखारे हैं ,‬ ‪एक बात बता तू मोहे, इतने नख़रे कहा से लावे हैं ।‬   ‪चल मान लिया तेरी बाते, सारी गलती म्हारी हैं,‬ ‪न जाऊँगा छोड़ के तुझको, मेरी क़सम ये पूरी है ,‬ ‪अब तो आलिंगन कर ले हमारा, क्या अब भी कोई मजबूरी है,‬ ‪सौ बात की एक बात ,हमराही मेरे ये जीवन तुझ बिन अधूरी है...!‬                               “रजनीश भारद्वाज” 

मैं हूँ बैंकर

उन्नति का आसार हूँ मैं, विपत्ति का आधार हूँ मैं , हर वर्ग का साथी हूँ , हर समाज को अपनाता हूँ , हर ग्राहक हमारा इष्ट हुआ ,हमारा व्यवहार हमेशा शिष्ट रहा , कर्म ही हमारी पूजा हैं ,तब जाकर क़ोई बैंकर कहलाता हैं । यूँ ही नही झोपड़ी से ,हमारा office महल हुआ , लेज़र और रजिस्टर से ,finacle x का सफ़र हुआ, सिर से बहते पसीने को कभी, ऐरि से निकलते देखा हैं , नदी उतरकर क़ोई सेवा पहुँचाता हैं, तब जाकर क़ोई बैंकर कहलाता हैं । यु ही नही हर क़ोई ,5 ट्रिलियन का सपना संजोए हैं , आत्मनिर्भरता की हर कसौटी पर, हम ही सर्वप्रथम आए हैं , घर परिवार का पता नही, COVID-19 से भी मैं डरा नही, हर आपदा मे प्रथम पंक्ति के सेवादाता हैं,तब जाकर क़ोई बैंकर कहलाता हैं । सेवा हमारी आजीविका हैं, तो हम स्वभाविक मज़दूर हुए , अपने ही नेताओ की नाकामी से ,हम असुविधाओं मे जीने को मजबुर हुए, आधा वेतन, कम staff, असुरक्षा से , हमारा बहुत पुराना नाता हैं , हमारी परेशानियों का कभी न अंत हुआ, शायद इसी वजह क़ोई बैंकर कहलाता हैं ।                               ...

अधूरी ख़्वाहिशें

ख़्वाहिशें ज़ो हमने पाली थी , अबतक वो अधूरी हैं , मैं तो अधूरा हूँ ही ,वो भी अबतक अधूरी हैं , वक़्त बदला पर , ख़्वाब अब तक अधूरी हैं , तश्वीर जो हमने खिंची थी, आज़ तक वो अधूरी हैं ।                                  चाहत थीं सितारों की, राह अभी अधूरी हैं ,                                  मंज़िल तक पहुँचने की ,चाह अभी अधूरी हैं ,                                 कालचक्र के पहिए की , रफ़्तार अभी अधूरी हैं ,                                 ओ हमराही मेरे मंज़िल की, तेरा साथ अभी अधूरी हैं । बातें हुई थी जीवन पर्यंत की, साँसें अभी अधूरी हैं , तेरा साथ होगा फ़िरदौस तक, तो जीवन अभी अधूरी हैं, ग़र खोट हैं मुझमें क़ोई तो , तेरी सिख अभी अधूरी हैं , मैं तो हूँ आवारा ,तू बता त...

बदलता वक़्त

वक़्त को किसने देखा हैं,              ये वक़्त भी बदल जाएगा , ग़म के बादल कब तक मंडरायेगे ,               एक बयार बहेगी और ये बादल भी छट जाएगे। अंधियारो का हैं मोल बस इतना ,                जब तक काली रात ज़ारी हैं, उम्मीदों का एक़ टिमटिमाता दिया ही,                 सारे अंधियारो पर भारी हैं । ये जीवन हैं विश्वास का धरा ,                वक़्त के साथ उथल पूथल भी ज़ारी हैं , हर गुज़रते लम्हों के साथ ,                 जीवन की अनमोल सीख जारी हैं । वक़्त की क़द्र कर तू बन्दे,                 ये वक़्त भी बदल जाएगा , जब तेरा सितारा चमकेगा ,                  ये दुनिया उसकी रोशनी मे नहाएगा ।                           “...