हमराही
द्वारपाल बन के तू खड़ी है, ऐसी क्या मेरी गलती है,प्रेम हमारा सारा जग है जाने, तू क्यों साथ छुड़ावे है,नाराज न हो प्रियतम मेरी, क्या तू मेरे बिन जी पावेगी,बातें चाहे कुछ भी कह ले, नम आँखे तेरा हाल बतावे हैं ।
लाल जोड़ा, हरी चुरिया, तेरे माथे पर टिका शोभे है,क़हर लागे है जब तू ऐसे, शून्य नजरो से मुझे देखे हैं ,सूरज के स्वर्णिम किरणे , तेरे चेहरे का रंग निखारे हैं ,एक बात बता तू मोहे, इतने नख़रे कहा से लावे हैं ।
चल मान लिया तेरी बाते, सारी गलती म्हारी हैं,न जाऊँगा छोड़ के तुझको, मेरी क़सम ये पूरी है ,अब तो आलिंगन कर ले हमारा, क्या अब भी कोई मजबूरी है,सौ बात की एक बात ,हमराही मेरे ये जीवन तुझ बिन अधूरी है...!
“रजनीश भारद्वाज”
Good one ☝️
ReplyDeleteThank a lot sir 🙏🙏🙏
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