"आवारा हूँ मैं"

लोग कहते हैं  "आवारा हूँ मैं",
सरहदे तोड़ कर बहता धारा हूँ मैं ,
निकल चला हूँ दर से अपने, राह भटका बंजारा हूँ मैं,
तलाश हैं मंजिल की, ढुंढ रहा किनारा हूँ मैं,
लोग कहते हैं "आवारा हूँ मैं" ।।
 दुनिया के मेले मे खोया चेहरा हूँ मैं,
 सतरंज की बिसात पर चला मोहरा हूँ मैं,
दुनिया से अंजान खुद का पैमाना हूँ  मैं,
लोग कहते हैं " आवारा हूँ मैं"  ।।
                   " रजनीश भारव्दाज"

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