संकल्प
बेटी थी वो हमारी , उसकी हाथों में फूल होने चाहिए , सपने थे उसके आँखों में , जिसे उड़ने को पंख थे चाहिए । विरोध ही पर्याप्त नही , विद्रोह होना चाहिए , जब तक समूल नाश न हो पापियों का , आप के मन में आक्रोश होना चाहिए । ग़र नम है आँख मेरी , वो आश्रु नही तेज़ाब होना चाहिए , गिरे जो ज़ालिम के सोच पर , कु-संस्कार जल के ख़ाक होनी चाहिए । इंसानियत है धर्म हमारा , क्या इसमें भी विचारों का भेद होना चाहिए , ...