भूमिपुत्र
दंगाई नही...दयावान है ये , माँ भारती की असली संतान हैं ये , ख़ुद आधे पेट ही खाते हैं , पर हर जन के लिए अन्न उपजाते हैं , रक़्त को पसीना बनाते है , तब जाके फ़सलो को सिंच पाते हैं , राजनीति से अनभिज्ञ है ये , क़र्ज़ के कुचक्र से त्रस्त है ये , सत्ता की क़ोई इच्छा नहीं , खलिहान ही इनका रजवारा है , लहलहातीं फ़सले ही जिनकी , बहुमूल्य धन-सम्पदा का ख़ज़ाना हैं , बलवाई नही...बलवान हैं ये , दृढ़ निश्चयी हलधर “भूमिपुत्र” किसान हैं ये । “रजनीश भारद्वाज”